DIWALI: DIWALI ESSAY IN HINDI | DIWALI GREETINGS


दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत में सबसे प्रमुख और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। दिवाली का अर्थ है "दीपों की पंक्ति" या "दीपों का त्योहार"। यह त्योहार प्रकाश की जीत अंधकार पर, अच्छाई की जीत बुराई पर और ज्ञान की जीत अज्ञानता पर का प्रतीक है।

 


DIWALI: DIWALI ESSAY IN HINDI | DIWALI GREETINGS


दिवाली का त्योहार पाँच दिनों तक मनाया जाता है। प्रत्येक दिन का अपना अलग महत्व है।

·        धनतेरस: यह त्योहार का पहला दिन है। इस दिन लोग धनतेरस की पूजा करते हैं, जो धन के देवता कुबेर और वैद्य धनवंतरि की पूजा है।

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·        नरक चतुर्दशी: यह त्योहार का दूसरा दिन है। इस दिन लोग यमराज की पूजा करते हैं, जो मृत्यु के देवता हैं। कहा जाता है कि जो भी इस दिन सूर्योदय से पहले तेल लगाकर स्नान करता है, उसे उस वर्ष नरक जाने से मुक्ति मिलती है।

Narak Chaturdashi celebrations in India

 


·        दीपावली: यह त्योहार का मुख्य दिन है। इस दिन लोग लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं, जो धन और समृद्धि की देवी हैं। इस दिन घरों को दीपकों से सजाया जाता है। लोग नए कपड़े पहनते हैं और मिठाइयाँ खाते हैं। रात में पटाखे भी फोड़ते हैं।

Diwali celebrations in India

 


·        गोवर्धन पूजा: यह त्योहार का चौथा दिन है। इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं, जिसे भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से बचाने के लिए उठाया था।

Govardhan Puja celebrations in India

 


भाई दूज: यह त्योहार का अंतिम दिन है। इस दिन भाई-बहन एक-दूसरे को राखी बांधते हैं और उपहार देते हैं। यह रक्षाबंधन का एक प्रकार है।

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दिवाली का त्योहार हिंदुओं के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मों के लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह त्योहार सभी को यह संदेश देता है कि हमें अपने जीवन में प्रकाश फैलाना चाहिए और अंधकार को दूर करना चाहिए।



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दिवाली कब है?



मित्रोआपको यहाँ हम बता दें कि दिवाली हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने में अमावस्या की रात को मनाया जाता है। दिवाली का अर्थ है "दीपों की पंक्ति" और यह रोशनी के पर्व का प्रतीक है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत, ज्ञान पर अज्ञानता की जीत और आशा पर निराशा की जीत का प्रतीक है।

दिवाली एक पांच दिवसीय त्योहार है। हर दिन का अपना महत्व है।

1.        धनतेरस: यह त्योहार धन और समृद्धि के देवता भगवान कुबेर की पूजा के लिए समर्पित है।

2.       नरक चतुर्दशी: इस दिन लोग नरक की अग्नि से मुक्ति के लिए भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।

3.       दीपावली: यह त्योहार का मुख्य दिन है। इस दिन लोग लक्ष्मीजीगणेशजी और सरस्वतीजी की पूजा करते हैं।

4.       गोवर्धन पूजा: इस दिन लोग भगवान कृष्ण की पूजा करते हैंजिन्होंने इंद्र के क्रोध से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था।

5.       भाई दूज: यह त्योहार भाई-बहनों के बीच के रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं और उनके दीर्घायु की कामना करती हैं।



दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का समय



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शुभ दीवाली - दीपावली का अर्थ


मित्रोदीवाली कहें या दीपावली भारतवर्ष में मनाया जाने वाला हिंदूओं का एक ऐसा पर्व है जिसके बारे में लगभग सब जानते हैंबताते हैं कि प्रभु श्री राम की अयोध्या वापसी पर लोगों ने उनका स्वागत देशी घी के दिये जलाकर किया थाअमावस्या की काली रात रोशन भी रोशन हो गईअंधेरा मिट गया उजाला हो गया यानि कि अज्ञानता के अंधकार को समाप्त कर ज्ञान का प्रकाश हर ओर फैलने लगाइसलिये दीवाली को प्रकाशोत्सव भी कहा जाता हैदीवाली का त्यौहार जब आता है तो साथ में अनेक त्यौहार लेकर आता हैएक ओर यह जीवन में ज्ञान रुपी प्रकाश को लाने वाला है तो वहीं सुख-समृद्धि की कामना के लिये भी दीवाली से बढ़कर कोई त्यौहार नहीं होता इसलिये इस अवसर पर लक्ष्मी की पूजा भी की जाती हैदीपदानधनतेरसगोवर्धन पूजाभैया दूज आदि त्यौहार दीवाली के साथ-साथ ही मनाये जाते हैंसांस्कृतिकसामाजिकधार्मिकआर्थिक हर लिहाज से दीवाली बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार हैवर्तमान में तो इस त्यौहार ने धार्मिक भेदभाव को भी भुला दिया है और सभी धर्मों के लोग इसे अपने-अपने तरीके से मनाने लगे हैंहालांकि पूरी दुनिया में दीवाली से मिलते जुलते त्यौहार अलग-अलग नामों से मनाये जाते हैं लेकिन भारतवर्ष में विशेषकर हिंदूओं में दीवाली का त्यौहार बहुत मायने रखता है। इस त्योहार को बहुत अन्य देशों में भी मनाया जाता है । दीवाली: रोशनी का त्योहार-दीवाली प्रकाशोत्सव को सभी खुसियों से मानते हैं ।



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क्या है दीवाली और लक्ष्मी पूजा? 


आपको बता दें कि माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिये इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है, घर में सुख-समृद्धि बने रहे और मां लक्ष्मी स्थिर रहें इसके लिये दिनभर मां लक्ष्मी का उपवास रखने के उपरांत सूर्यास्त के पश्चात प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न (वृषभ लग्न को स्थिर लग्न माना जाता है) में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, लग्न व मुहूर्त का समय स्थान के अनुसार ही देख कर किया जाता है ।



दीपावली किस दिन मनाई जाती है?


आओ अब यहाँ जाने कि धनतेरस कब है? लक्ष्मी पूजा कब है? और धनतेरस क्यों मनाया जाता है? इन सभी के बारे में हम ऊपर चर्चा कर चुके हैं क्यों कि प्रत्येक वर्ष बदलता रहता है ।



दिवाली कब है?


मित्रो, आइए अब जानते हैं कि इस वर्ष में दीवाली कब है? और इस वर्ष दीवाली की तारीख व मुहूर्त कब है। इन दोनों प्रश्नों का उत्तर सबसे पहले दिया गया है। दीवाली या दीपावली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है, हिंदू धर्म में दीवाली का विशेष महत्व है, धनतेरस से भाई दूज तक करीब 5 दिनों तक चलने वाला दीवाली का त्यौहार भारत और नेपाल समेत दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है, दीपावली को दीप उत्सव भी कहा जाता है, क्योंकि दीपावली का मतलब होता है दीपों की अवली यानि पंक्ति, दीवाली का त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। शायद आप जानते होंगे कि हिंदू धर्म के अलावा भी बौद्ध, जैन और सिख धर्म के अनुयायी भी इस दीवाली त्योहार को मनाते हैं, जैन धर्म में दीवाली को भगवान महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाया जाता है, वहीं सिख समुदाय में इसे बंदी छोड़ दिवस के तौर पर मनाया जाता है ।



आओ जाने दीवाली कब मनाई जाती है?


1.    हिन्दू मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास में अमावस्या के दिन प्रदोष काल होने पर दीपावली (महालक्ष्मी पूजन) मनाने का विधान है, यदि दो दिन तक अमावस्या तिथि प्रदोष काल का स्पर्श न करे तो दूसरे दिन दीवाली मनाने का विधान है, यह मत सबसे ज्यादा प्रचलित और मान्य है, जिसे सब लोग अपनाते हैं ।

2.    वहीं, एक अन्य मत के अनुसार, अगर दो दिन तक अमावस्या तिथि, प्रदोष काल में नहीं आती है, तो ऐसी स्थिति में पहले दिन दीवाली मनाई जानी चाहिए।

3.    इसके अलावा यदि अमावस्या तिथि का विलोपन हो जाए, यानी कि अगर अमावस्या तिथि ही न पड़े और चतुर्दशी के बाद सीधे प्रतिपदा आरम्भ हो जाए, तो ऐसे में पहले दिन चतुर्दशी तिथि को ही दीवाली मनाने का विधान है। जो कि कभी कभी आता है ।



कब करें दीवाली पर लक्ष्मी पूजा?


मुहूर्त का नाम

समय

विशेषता

महत्व

प्रदोष काल

सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त

लक्ष्मी पूजन का सबसे उत्तम समय

स्थिर लग्न होने से पूजा का विशेष महत्व

महानिशीथ काल

मध्य रात्रि के समय आने वाला मुहूर्त

माता काली के पूजन का विधान

तांत्रिक पूजा के लिए शुभ समय


 

दीपावली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?


1.    दीपावली पर देवी लक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त) में किया जाना चाहिए। प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में पूजन करना सर्वोत्तम माना गया है। इस दौरान जब वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि लग्न में उदित हों तब माता लक्ष्मी का पूजन किया जाना चाहिए। क्योंकि ये चारों राशि स्थिर स्वभाव की होती हैं। मान्यता है कि अगर स्थिर लग्न के समय पूजा की जाये तो माता लक्ष्मी अंश रूप में घर में ठहर जाती है। जो कि सभी लिए लाभदायक होता है ।

2.    दीपावली त्योहार पर महानिशीथ काल के दौरान भी पूजन का महत्व है लेकिन यह समय तांत्रिक, पंडित और साधकों के लिए ज्यादा उपयुक्त होता है। इस काल में मां काली की पूजा का विधान है। इसके अलावा वे लोग भी इस समय में पूजन कर सकते हैं, जो महानिशिथ काल के बारे में समझ रखते हों। इस समय पूजा बहुत ही सावधानी से करनी चाहिए क्यों कि कभी कभी इसका उल्टा असर भी हो जाता है । 



क्या है दीवाली पर लक्ष्मी पूजा की विधि?


इस त्योहार दीवाली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष विधान है, इस दिन संध्या और रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, विघ्नहर्ता भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा और आराधना की जाती है, पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की अंधेरी रात में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक पर आती हैं और हर घर में विचरण करती हैं, इस दौरान जो घर हर प्रकार से स्वच्छ और प्रकाशवान हो, वहां वे अंश रूप में ठहर जाती हैं इसलिए दीवाली पर साफ-सफाई करके विधि विधान से पूजन करने से माता महालक्ष्मी की विशेष कृपा होती है, लक्ष्मी पूजा के साथ-साथ कुबेर पूजा भी की जाती है, पूजन के दौरान निम्न  बातों का ध्यान रखना चाहिए –

 

1.  दीवाली के दिन लक्ष्मी पूजन से पहले घर की साफ-सफाई करें और पूरे घर में वातावरण की शुद्धि और पवित्रता के लिए गंगाजल का छिड़काव करें, साथ ही घर के द्वार पर रंगोली और दियों की एक शृंखला बनाएं।

2.  पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्ति रखें या दीवार पर लक्ष्मी जी का चित्र लगाएं, चौकी के पास जल से भरा एक कलश रखें।

3.  माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति पर तिलक लगाएं और दीपक जलाकर जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें और माता महालक्ष्मी की स्तुति करें।

4.  इसके साथ देवी सरस्वती, मां काली, भगवान विष्णु और कुबेर देव आदि की भी विधि विधान से पूजा करें।

5.  महालक्ष्मी का पूजन पूरे परिवार को एकत्रित होकर करना चाहिए।

6.  महालक्ष्मी पूजन के बाद तिजोरी, बहीखाते और व्यापारिक उपकरण की भी पूजा करें।

7.  पूजन के बाद श्रद्धा अनुसार ज़रुरतमंद लोगों को मिठाई और दक्षिणा अवश्य दें।



क्या करें दीवाली पर?


1.    सभी लोगों को कार्तिक अमावस्या यानि दीपावली के दिन प्रात:काल शरीर पर तेल की मालिश के बाद स्नान करना चाहिए, मान्यता है कि ऐसा करने से धन की हानि नहीं होती है।


2.    दीवाली के दिन वृद्धजन और बच्चों को छोड़कर् अन्य व्यक्तियों को भोजन नहीं करना चाहिए यानी व्रत रहना चाहिए, शाम को महालक्ष्मी पूजन के बाद ही भोजन ग्रहण करें।


3.    दीपावली पर पूर्वजों का पूजन करें और धूप व भोग अर्पित करें, प्रदोष काल के समय हाथ में उल्का धारण कर पितरों को मार्ग दिखाएं, यहां उल्का से तात्पर्य है कि दीपक जलाकर या अन्य माध्यम से अग्नि की रोशनी में पितरों को मार्ग दिखायें, ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


4.    दीवाली त्योहार से पहले मध्य रात्रि को स्त्री-पुरुषों को गीत, भजन और घर में उत्सव मनाना चाहिए, कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में व्याप्त दरिद्रता दूर होती है तथा माँ लक्ष्मी का आगमन होता है ।



क्या है दीवाली की पौराणिक कथा?


आपको बता दें कि हिंदू धर्म में हर त्यौहार से कई धार्मिक मान्यता और कहानियां जुड़ी हुई हैं, दीवाली को लेकर भी दो अहम पौराणिक कथाएं प्रचलित है -


1. बताते हैं कि कार्तिक अमावस्या के दिन भगवान श्री राम चंद्र जी चौदह वर्ष का वनवास काटकर और लंकापति रावण का नाश करके अयोध्या लौटे थे, इस दिन भगवान श्री राम चंद्र जी के अयोध्या आगमन की खुशी पर लोगों ने दीप जलाकर उत्सव मनाया था, तभी से दीवाली की शुरुआत हुई और बो अभी भी चलती आ रही है ।

2. सूत्रो की माने तो एक अन्य कथा के अनुसार नरकासुर नामक राक्षस ने अपनी असुर शक्तियों से देवता और साधु-संतों को परेशान कर दिया था, इस राक्षस ने साधु-संतों की 16 हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था, नरकासुर के बढ़ते अत्याचारों से परेशान देवता और साधु-संतों ने भगवान श्री कृष्ण से मदद की गुहार लगाई, इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध कर देवता व संतों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई, साथ ही 16 हजार स्त्रियों को कैद से मुक्त कराया, इसी खुशी में दूसरे दिन यानि कार्तिक मास की अमावस्या को लोगों ने अपने घरों में दीये जलाए, तभी से नरक चतुर्दशी और दीपावली का त्यौहार मनाया जाने लगा जो अभी भी चला आ रहा है ।



मित्रो, इसके अलावा भी दीवाली को लेकर अन्य और भी पौरणिक कथाएं सुनने को मिलती है -


1.  जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाया था और इंद्र ने स्वर्ग को सुरक्षित पाकर खुशी से दियों से दीपावली मनाई थी।

2.  अन्य कथा के अनुसार इसी दिन समुंद्र मंथन के दौरान क्षीरसागर से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं और उन्होंने भगवान विष्णु को पति के रूप में स्वीकार किया था, तभी से देवों ने दिये जला कर इस त्योहार की शुरुआत की थी ।



क्या है दीवाली का ज्योतिष महत्व?


जैसा कि आप जानते हैं, कि हिंदू धर्म में हर त्यौहार का ज्योतिष महत्व होता है, माना जाता है कि विभिन्न पर्व और त्यौहारों पर ग्रहों की दिशा और विशेष योग मानव समुदाय के लिए शुभ फलदायी होते हैं, हिंदू समाज में दीवाली का समय किसी भी कार्य के शुभारंभ और किसी वस्तु की खरीदी के लिए बेहद शुभ माना जाता है, इस विचार के पीछे ज्योतिष महत्व है, दरअसल दीपावली के आसपास सूर्य और चंद्रमा तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में स्थित होते हैं, वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य और चंद्रमा की यह स्थिति शुभ और उत्तम फल देने वाली होती है, तुला एक संतुलित भाव रखने वाली राशि है, यह राशि न्याय और अपक्षपात का प्रतिनिधित्व करती है, तुला राशि के स्वामी शुक्र जो कि स्वयं सौहार्द, भाईचारे, आपसी सद्भाव और सम्मान के कारक हैं, इन गुणों की वजह से सूर्य और चंद्रमा दोनों का तुला राशि में स्थित होना एक सुखद व शुभ संयोग होता है, इसका विस्वास कर सभी लोग इस त्योहार को मनाते हैं । आज सभी को ये जानना चाहिए कि दीपावली क्यों मनाते है?



दीपावली क्यों मनाते है?


इसी प्रकार दीपावली का आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों रूप से विशेष महत्व है, हिंदू दर्शन शास्त्र में दीवाली को आध्यात्मिक अंधकार पर आंतरिक प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई का उत्सव कहा गया है, इसी कारण अधिकतर लोग इस त्योहार को मानते हैं ।


मित्रो, दीपावली, दिवाली या दीवाली शरद ऋतु (उत्तरी गोलार्द्ध) में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिन्दू त्यौहार है। दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है जिसके बारे में हम ऊपर चर्चा कर चुके हैं ।


दिवाली के बारे में


इस त्योहार के बारे में जानने के लिए स्कूलों में विभिन्न प्रकार के लेख छात्रों को सिखाये जाते हैं जैसे दीपावली पर निबंध 150 शब्द - दीपावली पर निबंध प्रस्तावना - दीपावली की परिभाषा - दीपावली पर निबंध - दिवाली पर निबंध - दिवाली एस्से इन हिंदी इत्यादि । इन सब कार्यक्रमों से बच्चों में इस त्योहार के बारे में जानने की रुचि पैदा होती है । इन सभी लेखों में छात्रों को दीपावली मनाने का कारण, देव दीपावली क्यों मनाई जाती है, दिवाली के लिए ग्रीटिंग कार्ड एवं दिवाली के लिए मेहंदी डिजाइन आदि के बारें में जानकारी हो जाती है । पढ़ाई के दौरान बच्चों को यह भी जानकारी हो जाती है कि धनतेरस को इंग्लिश में क्या कहते हैं?



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दीपावली पर शुभकामनाएं – (हैप्पी दिवाली)


मित्रों, आजकल नई टेक्नोलोजी आने पर नए प्रकार के हैप्पी दिवाली का कार्ड - हैप्पी दिवाली आप सभी को - दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं संदेश - दीपावली की शुभकामना सन्देश - दीपावली पर ग़ज़ल - दीपावली पर दो शब्द - दीपावली पर सुविचार इत्यादि भेजने का प्रचलन हो गया है ।



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बहुत से कवि विभिन्न प्रकार की दीपावली शुभकामना कविता - पटाखों पर कविता - दिया जलाने पर कविता - दीप पर कविता इत्यादि लिख कर अपना एवं अफ्नो का मनोरंजन करते हैं।


दिवाली को क्या करना चाहिए?


मित्रो, दिवाली पर आप क्या करते हैं? शायद ये सभी जानते हैं कि दिवाली पर दिवाली की पूजा - दिवाली की आरती की जाती है । दिवाली से पहले दिवाली की रंगोली - हैप्पी दिवाली रंगोली तैयार की जाती है । इस दिन अधिकतर लोग दिवाली की कॉमेडी -दीपावली की शायरी - दीपावली स्टेटस शायरी - दीपावली शायरी डाउनलोड को इन्टरनेट के माध्यम से खोजते हैं ।


दीपावली चित्र


जैसा कि अप सभी जानते हैं कि दिवाली एक आकर्षक त्योहार है इस दिन दीपावली का सुंदर चित्र - दीपावली चित्रकला - दिवाली ड्राइंग फोटोज - हैप्पी दिवाली ड्राइंग इत्यादि का सामूहिक प्रायोजन करते हैं ।



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दिवाली का महत्व


जैसा कि आप जानते हैं इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है विभिन्न प्रकार के प्रायोजन किए जाते हैं जैसे हैप्पी दिवाली का कार्टून, हैप्पी दिवाली के भजन तथा हैप्पी दिवाली की कहानी - दीपावली की कहानी बच्चों की जो कि छोटे छोटे बच्चों को बहुत पसंद आती हैं ।


दिवाली के बाद


दिवाली तो सभी मानते हैं परंतु दिवाली के बाद क्या करना चाहिए? यह सभी लोगों को ज्ञात नहीं होता हैं, क्या अप जानते हैं कि दिवाली के बाद कौन सा त्यौहार आता है? दिवाली के बाद एकादशी आती है जिसको अन्य प्रकार के त्योहार मनाने का प्रचलन है । इस दिन गोवर्धन पूजा की जाती है ।  


दिवाली से हानि


मित्रो,  दिवाली के बाद प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है, दिवाली के पटाखे बहुत भयंकर प्रदूषण पैदा करते हैं  जिसे सभी जानते हैं किन्तु इसे रोकने में असमर्थ हैं, सरकारें भी इसमें हस्तक्षेप नहीं करतीं हैं क्योंकि कि यह लोगों की भावनाओं से जुड़ा है परंतु हम सब लोगों को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है इस प्रदूषण से हमारे समाज को हर प्रकार से हानि होती है जैसे पैसे की बरबादी, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण एवं समय की बरबादी। जिसके कारण बहुत लोग तो कर्ज में डूब जाते हैं, बहुत लोग जुआ खेलकर स्वयं बर्बाद होते हैं । शायद सभी लोग इस बात से अनभिज्ञ होंगे कि गरीब की दिवाली किस तरह मनाई जाती है, वह बेचारा कर्ज लेकर अपनी परिवार की खुशिओं के लिए दिवाली मनाता है। 



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दिवाली का संदेश है कि हमें अंधकार को दूर करने और प्रकाश लाने का प्रयास करना चाहिए। हमें बुराई पर अच्छाई कायम रखनी चाहिए और हमेशा उम्मीद कायम रखनी चाहिए। हमें अपने परिवार और दोस्तों से प्यार करना चाहिए और उनके साथ खुशियाँ साझा करनी चाहिए।

दिवाली एक ऐसा त्योहार है जो हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। यह हमें सिखाता है कि हमेशा उम्मीद रखनी चाहिए और अंधकार में भी प्रकाश देखना चाहिए।


मित्रो, हम आशा करते हैं कि दीवाली का त्यौहार आपके लिए मंगलमय हो, माता लक्ष्मी की कृपा आप पर सदैव बनी रहे और आपके जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली आए और परिवार एवं देश नई ऊँचाइयाँ छूए ।